आपका दिल हमारे पास है।
छिपा रखा है हमने उसे अपने दिल में।
मेरा यह दिल अति सुरक्षित है-
प्यारी प्यारी मूल्यवान वस्तुयें रखने के लिये।
नयनों की निगाहवानी से रक्षित मेरे दिल में-
नहीं संभव है किसी दुर्मति दुर्मना का सहज प्रवेश,
इसीलिये कुछ लोग मुझे संग दिल मानते हैं।
यह अन्दर से अति कोमल है।
मैं विश्वास दिलाता हूँ आपका दिल वहां रहेगा-
पुर सुकून।
वहां रहतीं हैं मेरी कोमल भावनायें भी।
उनके साथ वह कर सकता है अठखेलियां-
और भर सकता है उडान।
निवेदन है,मेरी इन सुकोमल भावनाओं से-
आपका दिल ना खेले कोई खेल।
वे इतनी कोमल हैं तनिक सी ठेस लगने से-
मर जायेंगी।
मेरा नर्म दिल भी सह ना सकेगा आघात,
टूट जायेगा और बिखर जायेगा वह।
मै टूटे और बिखरे दिल के साथ कितना जी सकूँगा-
यह आपके विचार का विषय है।
जयन्ती प्रसाद शर्मा
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