Monday 2 February 2015

माँ शारदे वर दे

वर दे,
माँ शारदे वर दे !
गौर वर्णा, धवल वसना,
श्वेत शतदल राजती।
बुद्धि सुधारिन, विद्दया दायिन, 
कर में पुस्तक धारती।
सुप्तजनों को जाग्रत करने, 
माँ वीणा की झंकार कर दे ... ... वर दे माँ ... ...।
ज्ञान दीप प्रदीप्त कर,
तम ह्र्दय का नष्ट कर। 
विद्दया के प्रसार से,
अज्ञानता को दूर कर।
ज्ञान के प्रकाश से-
माँ मन मेरा आलोकित कर दे ... .. वर दे माँ ... ...।

जयन्ती प्रसाद शर्मा