Thursday 15 October 2015

मेरे चंचल मन की उड़ान

मेरे चंचल मन की उड़ान,
कर देती हैं मुझको हलकान...मेरे चंचल.....।
मन कहता है उनके दर पर जाऊँगा,
पैगामे मोहब्बत उन्हें सुनाऊंगा।
जो कर देती हैं वे इजहारे इश्क,
अपने दीवानेपन की हालत मैं भी उन्हें बताऊंगा।
कबूलनामा उनका कर देगा मंजिल को आसान .....
मेरे चंचल ....।
प्रिय अनिंधनीय सौन्दर्य तुम्हारा है,
अभिनन्दनीय रंग-रूप तुम्हारा है।
तुम्हारे बेमिसाल हुस्नो जमाल ने-
हमको मारा है।
मत ठुकरा देना प्यार भरा दिल मेरा बन कर तुम नादान ......
मेरे चंचल .....।
वह इत्तफाक मुझसे नहीं रखती हैं,
वह खुशामदीद मुझसे नहीं करती हैं।
कह दूंगा वह अपने सीने में–
संग-ए-दिल रखती हैं।
कर दूँगा बेजार, छीन कर ले आऊँगा उनके चेहरे की मुस्कान......
मेरे चंचल.....।


जयन्ती प्रसाद शर्मा 



चित्र गूगल से साभार