Friday 4 November 2016

मेरे दिल में बहुत दर्द है

मेरे दिल में बहुत दर्द है!
            यह दर्द है लोगों के मानवता भुलाने का,
            नहीं दुख में किसी के काम आने का।
            अपनी स्वार्थ परता के लिये नहीं लाना खयाल,
            किसी के दिल ना दुखाने का। 
मुझे लगती है ठेस उनसे,
जो इंसानियत का भुलाये बैठे फर्ज हैं.............. मेरे दिल में........।
            वरिष्ठों का सम्मान जो करते नहीं,
            माँ-बाप के अपमान से डरते नहीं। 
            मातृ शक्ति को जो कर देते हैं शर्मसार,
            उससे दुष्कर्म करने में शर्म करते नहीं। 
जिनके मातृत्व पितृत्व पर हो रहे विवाद,
उनके संतति संस्कृति का बड़ा ही करती हर्ज है.....मेरे दिल में.........।
            लोग शहीदों की शहादत विसराये बैठे हैं,
            गाँधी, नेहरु, सुभाष, भगत सिंह को भुलाये बैठे हैं। 
            देश में उच्च पदस्थ लोग,
            लूटने खसोटने की आदत बनाये बैठे हैं। 
बढ़ गया भ्रष्टाचार देश में,
कर रहे कर्णधार ही बेड़ा गर्क हैं.............. मेरे दिल में.................।
            ‘हम आजाद हैं’ की उन्मुक्तता में लोग मनमानी कर रहे हैं,
             रख ‘ला एंड आर्डर’ जेब में राहजनी, चोरी, छिनैती कर रहे हैं।
             बाह्य व आंतरिक अतिवादी,
             जनमानस को त्रस्त कर रहे हैं।
अपना ही रक्त भ्रष्टाचारी अति-वादियों का,
बना हुआ हमदर्द है.............. मेरे दिल में...................।

जयन्ती प्रसाद शर्मा 

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