जिया जाता नहीं मरा जाता नहीं,
अफसाना मौत का कहा जाता नहीं।
सोचा था मौत तो हमराह है,
चाहेंगे जब आ जायेगी।
नहीं बनेगी बेवफा,
नहीं महबूब सी तड़पायेगी।
दिल घबड़ा उठा सांसें लगी डूबने,
लगता है अब मौत आयेगी।
ले जायेगी हम को साथ अपने,
सभी दुश्वारियों से बचायेगी।
नाते रिश्ते वाले सब आ गये हैं,
सामान भी तैयार है।
रुदालियाँ भी आ गई हैं,
रुदन को तैयार हैं।
जो था मेरा वह हुआ तुम्हारा,
तुमको सब अधिकार है।
चाहे बिगाड़ो चाहे सँवारो,
तुमको सब अख्त्यार है।
जयन्ती प्रसाद शर्मा
अफसाना मौत का कहा जाता नहीं।
सोचा था मौत तो हमराह है,
चाहेंगे जब आ जायेगी।
नहीं बनेगी बेवफा,
नहीं महबूब सी तड़पायेगी।
दिल घबड़ा उठा सांसें लगी डूबने,
लगता है अब मौत आयेगी।
ले जायेगी हम को साथ अपने,
सभी दुश्वारियों से बचायेगी।
नाते रिश्ते वाले सब आ गये हैं,
सामान भी तैयार है।
रुदालियाँ भी आ गई हैं,
रुदन को तैयार हैं।
जो था मेरा वह हुआ तुम्हारा,
तुमको सब अधिकार है।
चाहे बिगाड़ो चाहे सँवारो,
तुमको सब अख्त्यार है।
जयन्ती प्रसाद शर्मा
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