Tuesday 25 February 2020

साँवरौ कन्हैया

साँवरौ कन्हैया, बाँकौ वंशी कौ बजैया,
सब जग मोह लियौ छेड़ी ऐसी तान है।
जमुना बहनौं भूलि गयी गैया चरनौं भूलि गयी,
मस्त भयौ वत्स, भूलौ पय पान है।
दौड़ि दौड़ि ग्वालिन आईं, तये पै रोटी छोड़ि आईं,
सजन बुलाते रहे, भूलीं कुलकान है।
कौन रोकै कौन कूँ सब  छोड़ि भाजे भौन कूँ,
ब्रजवासिन कौ देख ठट ,श्याम मुख आई मुस्कान है।
'दादू ' तुम हू  दौड़ लेउ चरण उनके गहि लेउ,
तुम हू कू तार देंगे कृष्ण करुणा की खान हैं।
जयन्ती प्रसाद शर्मा






Monday 17 February 2020

बसंत

ठिठुरे थे वो तन गये हुआ शीत का अंत,
सोये से तरुवर जगे आया जान बसंत।
आया जान बसंत हुई रितु अति सुहावनी,
भ्रमर करें गुंजार कलियाँ हुईं लुभावनी।
मोहित करते क्यार विटप लगते निखरे से,
तने हुये वे आज शीत से जो ठिठुरे थे।
जयन्ती प्रसाद शर्मा

Saturday 8 February 2020

रितु राज बसंत

प्रकृति ने ओढ़ धानी चुनर लीनी,
रितु पति के आव भगत की तैयारी कीनी।
द्रुम दलों ने नव पल्लव धारे,
खेतों में सरसों के पीले फूल खिले न्यारे।
स्वस्ति गान की जिम्मेदारी, कोयल ने लीनी....।
सुरभित शीतल बयार बहेगी,
श्रम हर जन का दूर करेगी।
भर देगी उल्हास मनों में फूलों की सुगंध भीनी....।
कलकल नाद करेगा सरिता का पानी,
हवा संग लहरायेगी प्रकृति की चूनर धानी।
देख कर आयेगी मुस्कान लवों पर जो जाड़े ने छीनी ..।
मचा शोर दिग् दिगंत,
आगये रितु राज बसंत।
ठंडी आह भरे विरहणी खबर नहि साजन ने लीनी।
जयन्ती प्रसाद शर्मा

Tuesday 4 February 2020

बिगड़ी ताहि बनाइये

दोहे
राह सुगम सबकी करो,पथ को देउ बुहार।
कंकड़ पत्थर बीन कें, कंटक देउ निकार ।।

बिगड़ी ताहि बनाइये, यदि सम्भव है जाय ।
सुखी होयेगी आत्मा, जो इज्जत रह जाय ।।

पिय की छवि ऐसी बसी, और न भावै कोय ।
मन रोवै दै हूकरी, जिस दिन दरश न होय ।।

प्रेम का पथ है अनन्त, नहि इसका है अंत ।
प्रेम बिना है जिंदगी, सुख में लगा हलंत ।।

जयन्ती प्रसाद शर्मा