Saturday, 25 April 2020

कोई कब महामारी में नप जाये

पता नहीं आँख कब झप जाये,
कोई कब महामारी में नप जाये।
रुका हुआ जो आँख में आँसू,
पता नहीं कब टप जाये।
वक्त का तकाजा है,
नहीं किसी से मिलो गले।
नहीं मिलाओ हाथ किसी से,
अज़ीज कोई हो कितना भले।
लेकिन रहे खयाल,
न हो किसी का अपमान।
रखें भावना शुद्ध,
मन से करें सम्मान।
हाथ जोड़ कर करें-
नमस्ते दूर से।
चेहरे पर हो सरलता,
दिखें नही मद में चूर से।

जयन्ती प्रसाद शर्मा

Friday, 17 April 2020

समय की फिक्र

जिसको चलने का जनून है,
वह चलेगा।
न मिले मंज़िले मकसूद,
कोई तो मुकाम मिलेगा।
जो पल्लवित हुई है डाली,
उस पर पुष्प खिलेगा।
जो जमा हुआ है आज,
कल को वह गलेगा।
सुबह का निकला सूर्य,
शाम को ढलेगा।
चाँद सितारे भी हैं चमकने का,
उनको भी वक्त मिलेगा।
जो नहीं करते समय की फ़िक्र,
समय उन्हें छलेगा।

जयन्ती प्रसाद शर्मा

Saturday, 11 April 2020

अब क्या रोना

अब क्या रोना,
होगा वही जो है होना।
नहीं माने बहुतेरा समझाया,
किया वही मन में जो आया।
नहीं माने लोगों से लिपटे,
तुमसे अब लिपटा कोरोना।
रखी नहीं सामाजिक दूरी,
चलाई स्वयं के गलों पर छूरी।
बहुत जरूरी था बचने को,
बार बार हाथ धोना।
नहीं रहे घरों में बंद किया भ्रमण,
बेलाग मिले लोगों से हुआ संक्रमण।
जान के पड़े हैं लाले,
आइसोलेशन में रहोना।
माने नहीं निर्देश लिया मज़ा,
झेलो महामारी की मार भुगतो सजा।
जीवन होगा शेष बचोगे,
मन में धीर धरोना।

जयन्ती प्रसाद शर्मा,दादू ।

Tuesday, 7 April 2020

बजरंगी हनुमान

बजरंगी हनुमान,
अतुलित शक्ति अपरिमित ज्ञान।
तुमको जो ध्याता,
तुमसे लगन लगाता।
वह पाता है,
अनायास धन मान।
तुम्हारे संग का सत्व,
पाया राम ने रामत्व।
श्रीहीन किया दशकंधर,
न था जिसके वैभव का अनुमान।
लांघा समुद्र,
जैसे नाला हो छुद्र।
जला दी लंका,
तृणवत मान।
हे बजरंग अष्ट सिद्धि प्रदाता,
हे कपीश नव निधि के दाता। 
मुझको अपनी देउ भक्ति,
हे प्रभु कृपा निधान।
जयन्ती प्रसाद शर्मा



Wednesday, 1 April 2020

करोना को हराना है

करोना गंभीर अति जानो यह श्रीमान,
लापरवाही आपकी ले ही लेगी जान।
ले ही लेगी जान न कमतर इसको आँको,
रहो घरों में बंद निकट भूले नहिं झाँको।
संक्रमितों से बचें न उनसे हाथ मिलाना,
रख सोशल डिस्टेंस हराना है करोना।
जयन्ती प्रसाद शर्मा