Tuesday 19 May 2020

आइना

आइना कैसे हैं आप बताता है,
आपका सूरत ए हाल दिखाता है।
वह नहीं बोलता झूँठ,
आप सभ्य हैं या ठूंठ।
आपको सँवरने का,
अवसर दिलाता है।                 
अनदेखी आइने की मत कीजिये,
अपने को सुधारने में उसकी मदद लीजिये।
आइना सच्चा साथी है आपका,
आपको आपकी सच्चाई बताता है।               
बन सँवर कर सामने आइने के आइये,
देख कर अपनी ख़ूबसूरती मुस्कराइए।
दीजिये धन्यवाद आइने को,
वह भी आपके संग मुस्कराता है।               
आइना नहीं करता चमचागीरी,
नहीं करता व्यर्थ की दादागीबीरी।
आप तोड़ दीजिये फिर भी उसका हर टुकड़ा,
अक्स आपका दिखाता है।

जयन्ती प्रसाद शर्मा

Monday 11 May 2020

माँ की ममता की छांव

जब भी किसी ने मुझे सताया,
माँ ने मुझको गले लगाया।              
जब भी दुखों की धूप से झुलसा, 
माँ ने ममता का छत्र लगाया। 
कभी सिर दर्द से हुआ परेशां,
माँ ने गोदी में रख सिर मेरा दबाया। 
जब भी लगी भूख मुझको, 
माँ ने अपने हाथों से मुझे खिलाया।
जब भी ज़माने ने रुलाया मुझको,
मां ने मुझको धीर बंधाया।
जब से गई है पलटकर न देखा,
सपनों में भी मुझको दर्शन न कराया। 
मेरी कृतघ्नता का दिया दंड, 
मैं तुझको भूला, तूने मुझे भुलाया।

जयन्ती प्रसाद शर्मा           

Saturday 2 May 2020

तुम थे जीवन में रंग था

तुम थे जीवन में रंग था
उमंग थी उचंग थी
तुम ले गये सब अपने साथ
बस छोड़ गये हो विरासत में शून्य।

इसी शून्य के सहारे
मुझे ज़िन्दगी का बोझ ढोना है
जीवन भर रोना है
भव से पार होना है।

अधिक क्लांत होने पर
चित्त अशांत होने पर
तुम्हारी यादों की पूँजी से
कुछ ख़र्च लूँगी।

मैं बरतूँगी मितव्यता
यह चुक न जाये अन्यथा
और मैं हो जाऊँ
निपट कंगाल।

निवेदन है तुम यादों में आते रहना
मेरा यह अदृश्य धन बढ़ाते रहना
ऐसा न हो तुम मुझे भूल जाओ
मैं भी तुम्हें भूल जाऊं किसी स्वप्न की तरह।

जयन्ती प्रसाद शर्मा, दादू ।