Monday 11 May 2020

माँ की ममता की छांव

जब भी किसी ने मुझे सताया,
माँ ने मुझको गले लगाया।              
जब भी दुखों की धूप से झुलसा, 
माँ ने ममता का छत्र लगाया। 
कभी सिर दर्द से हुआ परेशां,
माँ ने गोदी में रख सिर मेरा दबाया। 
जब भी लगी भूख मुझको, 
माँ ने अपने हाथों से मुझे खिलाया।
जब भी ज़माने ने रुलाया मुझको,
मां ने मुझको धीर बंधाया।
जब से गई है पलटकर न देखा,
सपनों में भी मुझको दर्शन न कराया। 
मेरी कृतघ्नता का दिया दंड, 
मैं तुझको भूला, तूने मुझे भुलाया।

जयन्ती प्रसाद शर्मा           

15 comments:

विश्वमोहन said...

वाह! बहुत सुंदर।

Meena sharma said...

बहुत सुंदर सरल रचना। सादर प्रणाम।

Ravindra Singh Yadav said...

नमस्ते,

आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में मंगलवार 12 मई 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

सुशील कुमार जोशी said...

वाह सुन्दर रचना।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (13-05-2020) को   "अन्तर्राष्ट्रीय नर्स दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ" (चर्चा अंक-3700)    पर भी होगी। 
-- 
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। 
--   
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।  
--
सादर...! 
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 

Onkar said...

बहुत खूब

मन की वीणा said...

बहुत सुंदर सृजन।

Jayanti Prasad Sharma said...

धन्यवाद महोदय।

Jayanti Prasad Sharma said...

धन्यवाद मीना जी।

Jayanti Prasad Sharma said...

रचना शामिल करने के लिए बहित बहुत धन्यवाद रविन्द्र जी।

Jayanti Prasad Sharma said...

धन्यवाद सुशील कुमार जोशी जी।

Jayanti Prasad Sharma said...
This comment has been removed by the author.
Jayanti Prasad Sharma said...

धन्यवाद महोदय।

Jayanti Prasad Sharma said...

धन्यवाद ओंकार जी।

Jayanti Prasad Sharma said...

बहुत बहुत धन्यवाद।