Tuesday 19 May 2020

आइना

आइना कैसे हैं आप बताता है,
आपका सूरत ए हाल दिखाता है।
वह नहीं बोलता झूँठ,
आप सभ्य हैं या ठूंठ।
आपको सँवरने का,
अवसर दिलाता है।                 
अनदेखी आइने की मत कीजिये,
अपने को सुधारने में उसकी मदद लीजिये।
आइना सच्चा साथी है आपका,
आपको आपकी सच्चाई बताता है।               
बन सँवर कर सामने आइने के आइये,
देख कर अपनी ख़ूबसूरती मुस्कराइए।
दीजिये धन्यवाद आइने को,
वह भी आपके संग मुस्कराता है।               
आइना नहीं करता चमचागीरी,
नहीं करता व्यर्थ की दादागीबीरी।
आप तोड़ दीजिये फिर भी उसका हर टुकड़ा,
अक्स आपका दिखाता है।

जयन्ती प्रसाद शर्मा

4 comments:

विश्वमोहन said...

बहुत सुंदर और यथार्थ कथन!

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

दर्पण की सार्थकता का पैगाम देती सुन्दर रचना।

Jayanti Prasad Sharma said...

धन्यवाद महोदय।

Jayanti Prasad Sharma said...

धन्यवाद महोदय।