Monday 20 March 2017

गौरैया

एक नन्हीं सी चिरैया,
छोटी सी प्यारी सी गौरैया।
उमर मेरी हो गई है पचपन,
याद आता है मुझको बचपन।
जब देखता हूँ आँगन में,
एक नन्हीं सी चिरैया........................ छोटी सी प्यारी सी..............।
चूँ चूँ  करती वह आती थी,
रहती थी वह शरमाती सी।
डर डर कर चुगती थी दाना,
वह नन्हीं सी चिरैया.......................... छोटी सी प्यारी सी..............।
छिप छिप कर मैं देखा करता था,
उस संग खेलने को मन करता था।
जब मैं पकड़ने उसको जाता,
झट से उड़ जाती थी नन्हीं सी चिरैया......छोटी सी प्यारी सी...........।
आती थी कभी बच्चों को लेकर,
चोंच से चुग्गा चोंच में देकर।
भरती थी अपना और उनका पेट,
वह नन्हीं सी चिरैया.......................... छोटी सी प्यारी सी...............।

जयन्ती प्रसाद शर्मा 






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