Sunday, 12 August 2018

जय शिव शंकर

जय शिव शंकर बम भोले।
पी गये गरल,
जैसे पेय तरल।
न बनाया मुंह,
न कुछ बोले ......जय शिव शंकर।
थी लोक कल्याण की भावना,
सबके प्रति थी सद्द्भावना।
हुआ कंठ नीलाभ,
भड़कने लगे आँख से शोले ......जय शिव शंकर।
चन्द्र कला सिर पर धरी उसकी शीतलता से विष ज्वाल हरी।
हुये शान्त उमाकांत,
सामान्य हुए हौले हौले ......जय शिव शंकर।
पसंद अपनी अपनी अपना खयाल,
लटकाये रहते कंठ व्याल।
आक धतुरा है अति प्रिय,
सटकते रहते भंग के गोले .....जय शिव शंकर।
जयन्ती प्रसाद शर्मा

No comments: