मारी नैन कटारी सैंया ने मारी।
नैन कटारी सैंया ने मारी,
सीधे दिल में मेरे उतारी।
ऐसी घात करी जुल्मी ने,
सह नहीं पाई मैं बेचारी।
मैं मर गई दरद की मारी......सैंया ने..............।
सैंया ने मोहे दुख दीनों,
नैनों से घायल कर दीनों।
लाज शरम सब भूलि गई मैं,
मोहि बावरी उसने कीनों।
कर दई मेरी ख्वारी......सैंया ने..............।
घायल हिरनी सी इत उन डोलूँ,
कहूँ कौन से का से बोलूँ।
पीर भई रही तड़फड़ात मैं,
मोहि दिन में चैन न नींद रात में।
कहती हूँ कसम खा कर तुम्हारी......सैंया ने..............।
प्रीत की रीत न उसने जानी,
चले गये दिल लेकर दिल जानी।
रहत बेकली मेरे मन में,
हर दम अंखियन से बरसत पानी।
अँसुवन से चूनर भीगी रहत मारी......सैंया ने..............।
जयन्ती प्रसाद शर्मा
नैन कटारी सैंया ने मारी,
सीधे दिल में मेरे उतारी।
ऐसी घात करी जुल्मी ने,
सह नहीं पाई मैं बेचारी।
मैं मर गई दरद की मारी......सैंया ने..............।
सैंया ने मोहे दुख दीनों,
नैनों से घायल कर दीनों।
लाज शरम सब भूलि गई मैं,
मोहि बावरी उसने कीनों।
कर दई मेरी ख्वारी......सैंया ने..............।
घायल हिरनी सी इत उन डोलूँ,
कहूँ कौन से का से बोलूँ।
पीर भई रही तड़फड़ात मैं,
मोहि दिन में चैन न नींद रात में।
कहती हूँ कसम खा कर तुम्हारी......सैंया ने..............।
प्रीत की रीत न उसने जानी,
चले गये दिल लेकर दिल जानी।
रहत बेकली मेरे मन में,
हर दम अंखियन से बरसत पानी।
अँसुवन से चूनर भीगी रहत मारी......सैंया ने..............।
जयन्ती प्रसाद शर्मा
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