मैं कोई गीत गाना चाहता हूँ
साध सकता क्या सुरों को-
आजमाना चाहता हूँ
.....................मैं कोई गीत.................।
फगवा गाऊँ,
कजली गाऊँ,
सोरठ गाऊँ,
ये गाऊँ या वो गाऊँ।
कोई मिलन का गीत गाकर,
तुमको सुनाना चाहता हूँ .....................मैं कोई
गीत.................।
फटा बाँस सा कंठ मेरा,
गर्दभ जैसा स्वर उच्च मेरा।
संगीत की नहीं की साधना,
नहीं की बागेश्वरी की आराधना।
साथ तेरे कोई गीत,
गुनगुनाना चाहता हूँ .....................मैं कोई
गीत.................।
जयन्ती प्रसाद शर्मा
No comments:
Post a Comment