Sunday 7 April 2019

यह तेरी गली यह मेरी गली

यह तेरी गली यह मेरी गली,
सौ बार आएंगे जाएंगे।
लाख करेंगे कोशिशें,
पर कभी न कभी टकराएंगे।
टकराहट में होगी खनक ,
पायल की जैसे झनक।
हम नहीं करेंगे गौर,
सुनी अनसुनी कर जाएंगे।
कभी खा जायेंगे  तैश,
लाठी डंडों से होएंगे लैस। 
हम रोक लेंगे रक्त पात,
जब लोग हमें समझायेंगे।
नहीं होएंगे हम कम ज़र्फ़,
जमने नहीं देंगे रिश्तों पर बर्फ।
होली दिवाली ईद बकरीद,
मिल कर सभी मनाएंगे।
जयन्ती प्रसाद शर्मा

Monday 1 April 2019

मौसम सुहाना हो गया है

मौसम सुहाना हो गया है,
समाँ आशिकाना हो गया है।
जिन रास्तों पर अक्सर आते जाते थे,
उन पर चले बिना एक जमाना हो गया है।
जो अशआर बिखरे पड़े थे,
उनके मिलने पर सुन्दर तराना हो गया है।
उजड़ा दयार आपकी इनायत से,
खुशियों का खजाना हो गया है।
किसी रूंठे को मनाने की कोशिशें,
खुद को झिकाना हो गया है।
जहाँ बैठ कर तलाशते थे दिल का सकून,
वह जगह अब मनचलों का ठिकाना हो गया है।
कदम उठाते ही लोग छेकते हैं रास्ता,
अब दुश्वार मिलना मिलाना हो गया है।
कल तक न था जिसको कुछ शऊर,
रूप उसका कातिलाना हो गया है।
जयन्ती प्रसाद शर्मा