मेरी तो होली होली।
मेरे ही धोखे से दे गये मुझे भंग की गोली......मेरी तो ........।
भंग की तरंग,
जागी मन में उमंग।
घोल लिये हें रंग,
पर होली खेलूँ किसके संग।
देख रंग बिरंगे नर नारी मेरी तबियत डोली.....मेरी तो ......।
आयी इतने में साली,
लिये संग में घरवाली।
दोनों मुझको भरमाय रहीं,
दूर खडीं मुस्काय रहीं।
ताड़ के मौका मेरे ही रंग डाले मुझ पर-
बोलीं शुभ हो होली।
जयन्ती प्रसाद शर्मा
मेरे ही धोखे से दे गये मुझे भंग की गोली......मेरी तो ........।
भंग की तरंग,
जागी मन में उमंग।
घोल लिये हें रंग,
पर होली खेलूँ किसके संग।
देख रंग बिरंगे नर नारी मेरी तबियत डोली.....मेरी तो ......।
आयी इतने में साली,
लिये संग में घरवाली।
दोनों मुझको भरमाय रहीं,
दूर खडीं मुस्काय रहीं।
ताड़ के मौका मेरे ही रंग डाले मुझ पर-
बोलीं शुभ हो होली।
जयन्ती प्रसाद शर्मा
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