Friday, 26 May 2017

मित्रता के आधार

समता निश्छलता और वत्सलता,
हैं मित्रता क आधार 
वे भाई तो नहीं होते, 
भाई से बढ़कर होता है उनका प्यार। 
             निश्छल प्रेमी जन ही मित्र बन पाते हैं, 
             निष्ठावान होकर वे उसे निभाते हैं। 
             जब सारे रिश्ते हो जाते है बेकार, 
             काम आता है यार....................... वे भाई........।. 
भाव श्रेष्ठता का जब दोस्ती में आ जाता है,  
बढ़ जाती है प्रतिद्द्न्दता प्यार कम हो जाता है। 
दोस्त दोस्त नहीं रह जाते, 
आती है दोस्ती में दरार....................... वे भाई........।. 
             कुछ लोग बदनाम यारी को करते हैं, 
             हथिया लेते हैं धन सम्पत्ति रमण पत्नी संग करते हैं। 
             वे नहीं रह जाते हैं सौमित्र, 
             मित्र की अस्मिता पर करते हैं वार....................... वे भाई........।. 
बड़े भाग्य से सच्चा यार मिलता है, 
जिसकी किस्मत अच्छी हो सच्चा प्यार मिलता है। 
यारी है ईश्वर की नेमत, 
मानव जीवन का पुरस्कार....................... वे भाई........।.

जयन्ती प्रसाद शर्मा  


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