Friday 6 September 2019

तुम बुहार न सको

तुम बुहार न सको किसी का पथ कोई बात नहीं,
किसी की राह में कंटक बिखराना नहीं।
न कर सको किसी की मदद कोई बात नहीं,
किसी की बनती में रोड़े अटकाना नहीं।
न निभा सको किन्हीं सम्बन्धों को कोई बात नहीं,
तुम रिश्तों की डोर उलझाना नहीं।
न घोल सको वाणी में मिठास कोई बात नहीं,
कड़वे बोलों के नस्तर लगाना नहीं।
नहीं कर सको किसी का मार्ग दर्शन कोई बात नहीं,
इधर उधर की बातों से भटकाना नहीं।
नहीं कर सको किसी का पथ रोशन कोई बात नहीं,
किसी की राह के दिये बुझाना नहीं।
तुम रह न सको सत्य पथ पर अडिग कोई बात नही,
झूंठ पर सत्य का मुलम्मा चढ़ाना नहीं।
जयन्ती प्रसाद शर्मा 'दादू'

6 comments:

yashoda Agrawal said...

आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शनिवार 07 सितंबर 2019 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

अनीता सैनी said...


जी नमस्ते,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (08-09-2019) को " महत्व प्रयास का भी है" (चर्चा अंक- 3452) पर भी होगी।

--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
….
अनीता सैनी

मन की वीणा said...

जी बहुत सुंदर भाव परोपकारी कथन ।

Anuradha chauhan said...

बहुत सुंदर रचना आदरणीय

Neeraj Kumar said...

वाह ! जीवन की बारीक़ियाँ समझाती रचना I

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (10-09-2019) को     "स्वर-व्यञ्जन ही तो है जीवन"  (चर्चा अंक- 3454)  पर भी होगी।--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'