पर्यावरण प्रेमियों के दो विरोधी गुटों ने,
विश्व पर्यावरण दिवस मनाने के लिए,
लगा लिए अपने शिविर उस सघन छांव वाले वृक्ष के नीचे।
पालीथीन की झंडियों, बैनरों से पाट
दिया परिसर।
समर्थकों की मोटर गाडियों के आने जाने से-
पेट्रोल के धुयें व धूल से भर गया वायुमंडल।
लाउडस्पीकरों के शोर से बुरी तरह गूँज उठा वह–
शांत वातावरण।
समारोह के उद्घाटन को लेकर दोनों गुटों के मान्यवरों के
बीच-
हो गया कुछ विवाद।
वह विवाद परिवर्तित हो गया मारपीट व सशस्त्र संघर्ष में।
दोनों ओर के लोग चढ़ गये उस वृक्ष पर–
ओर काट छांट डाली उसकी शाखायें।
कुछ ही समय में स्थित सरोवर का जल हो गया प्रदूषित–
घायलों के अपने घाव धोने से।
जयन्ती प्रसाद शर्मा