मन मयूर मम नृत्य करत!
घूमत मगन मन चक्रत–चक्रत,
सँभल-सँभल पग–
धरणी पर धरत ........ मन मयूर मम .....।
छनन-छनन छूम छनन-छनन छन,
घंघरू सौ छन छनात मन।
घनन घनन घूम घनन घनन घन,
घंटा सौ घन घनात मन।
नीरवता को हरत .......मन मयूर मम ......।
पंख पसार छटा बिखरावत,
मन-हर वातावरण बनावत।
सब जग नीकौ नीकौ लागे,
मंद मंद मम मन मुसकावत।
जीवन लगत सरस ......मन मयूर मम .......।
नृत्य करत मन ताता थैया,
घूम घूम कर ले घुमकैया।
छायौ आनन्द मन-उपवन में,
हूम-हूम कर ले हुमकैया।
मन में मोद भरत ......मन मयूर मम ......।
तिरकिट धिरकिट धूम, धूम,
रह्यौ मस्ती में झूम, झूम।
अति उछाह मन में भरयौ,
चाहता है उछल कर गगन चूम।
रह्यौ बहुत ही हरष ......मन मयूर मम ......।
जयन्ती प्रसाद शर्मा
चित्र गूगल से साभार
घूमत मगन मन चक्रत–चक्रत,
सँभल-सँभल पग–
धरणी पर धरत ........ मन मयूर मम .....।
छनन-छनन छूम छनन-छनन छन,
घंघरू सौ छन छनात मन।
घनन घनन घूम घनन घनन घन,
घंटा सौ घन घनात मन।
नीरवता को हरत .......मन मयूर मम ......।
पंख पसार छटा बिखरावत,
मन-हर वातावरण बनावत।
सब जग नीकौ नीकौ लागे,
मंद मंद मम मन मुसकावत।
जीवन लगत सरस ......मन मयूर मम .......।
नृत्य करत मन ताता थैया,
घूम घूम कर ले घुमकैया।
छायौ आनन्द मन-उपवन में,
हूम-हूम कर ले हुमकैया।
मन में मोद भरत ......मन मयूर मम ......।
तिरकिट धिरकिट धूम, धूम,
रह्यौ मस्ती में झूम, झूम।
अति उछाह मन में भरयौ,
चाहता है उछल कर गगन चूम।
रह्यौ बहुत ही हरष ......मन मयूर मम ......।
जयन्ती प्रसाद शर्मा
चित्र गूगल से साभार