Friday, 21 November 2014

यह तो कोई बात नहीँ है

यह तो कोई बात नही है।

आज मिलन की है ये बेला–

पर तू मेरे साथ नही है ..........यह तो..........।

मैं एक तरफ़ा प्रीत की रीत निभाता हूँ,

आना तेरा सम्भाव्य नहीं पर राहों में  फूल बिछाता हूँ।

मैं अपनी करनी पर हूँ पर तू अपनी जिद पर है।

मेरी इस प्रेम कहानी का उपसंहार प्रभु पर है।

बड़ी चतुर तुम नेहवती हो पर चलन प्रेम का ज्ञात नही है ............यह तो.....।

तेरी हर शोखी पर प्यार मेरा सरसता है,

लेकिन पर पीडक है तू तुझको, मेरा उत्पीड़न भाता है।

तिरछी नजरों से कर ना वार, ले आजमा खंजर की धार,

जाहे बहार तिल-तिल ना मार, कर दे फ़ना बस एक बार। 

इससे अच्छी तेरी मुझको होगी कोई सौगात नहीं है .....यह तो.....।

नहीं जलप्रपात सा उच्छ्खल है प्रेम मेरा,

शान्त झील के स्थिर जल जैसा दृढ नेह मेरा। 

मैं नहीं जोर शोर से अपनी प्रीत जताता हूँ,

हो जाये मिलन तेरा मेरा ईश्वर से नित्य मनाता हूँ।

मन ही मन करता मिलन कामना समझे तू जज्बात नहीं है .........यह तो.....।

जयन्ती प्रसाद शर्मा

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