पता नहीं वे मेरी कमियों का ढिंढोरा क्यों पीटना चाहते हैं।
उस दिन उन्होंने दे दिया परामर्श–
दूर दृष्टि अपनाने का।
शायद उन्हें पता नहीं मैं दृष्टि बाधित हूँ,
और पास का भी मुश्किल से–
देख पाता हूँ।
उनका उच्च विचार का सुझाव भी समझ से परे है।
मैं एक औसत कद का व्यक्ति हूँ।
किसी उच्चता के लिए मुझे कितना प्रयास करना पड़ेगा, उचकना पड़ेगा-
विचारणीय है।
बड़े दिल वाला बनने के लिए उन्होंने बड़े मासूमियत से कह दिया।
मैं अपने अस्सी सेंटीमीटर सीने में बड़ा दिल कैसे समाहित कर पाउँगा–
यह सोच कर बैठने लगता है मेरा छोटा सा दिल।
भारी भरकम होने की सलाह भी बे मानी है।
सामान्य कद का मेरे जैसा व्यक्ति भारी भरकम होकर–
चलने फिरने से हो जायेगा मजबूर और लुढकने लगेगा गेंद जैसा।
मैं सोचता हूँ मैं जैसा भी हूँ, वैसा ही ठीक हूँ।
जयन्ती प्रसाद शर्मा
उस दिन उन्होंने दे दिया परामर्श–
दूर दृष्टि अपनाने का।
शायद उन्हें पता नहीं मैं दृष्टि बाधित हूँ,
और पास का भी मुश्किल से–
देख पाता हूँ।
उनका उच्च विचार का सुझाव भी समझ से परे है।
मैं एक औसत कद का व्यक्ति हूँ।
किसी उच्चता के लिए मुझे कितना प्रयास करना पड़ेगा, उचकना पड़ेगा-
विचारणीय है।
बड़े दिल वाला बनने के लिए उन्होंने बड़े मासूमियत से कह दिया।
मैं अपने अस्सी सेंटीमीटर सीने में बड़ा दिल कैसे समाहित कर पाउँगा–
यह सोच कर बैठने लगता है मेरा छोटा सा दिल।
भारी भरकम होने की सलाह भी बे मानी है।
सामान्य कद का मेरे जैसा व्यक्ति भारी भरकम होकर–
चलने फिरने से हो जायेगा मजबूर और लुढकने लगेगा गेंद जैसा।
मैं सोचता हूँ मैं जैसा भी हूँ, वैसा ही ठीक हूँ।
जयन्ती प्रसाद शर्मा