अंग्रेजी में निमंत्रण पत्र प्राप्त कर-
दिल हो गया बाग बाग।
अपने को आभिजात्य वर्ग से जुड़ने पर-
हो रही थी अपार प्रसन्नता।
सच ‘सोनी वेड्स मोनी’ शब्दों का आकर्षण-
कहाँ है परिणय या पाणिग्रहण जैसे हिंदी के पारम्परिक शब्दों में।
नीचे लिखे फुट नोट ने "कृपया समारोह में अवश्य आइये"-
और पढने के लिये नवीनतम सेहरा साथ लाइये-
ने कर दिया मन अति प्रफुल्लित।
मैं हो रहा था खुश मुझे मिलेगा अवसर-
प्रतिष्ठित वर्ग के लोगों में प्रदर्शित करने का अपना काव्य कौशल।
मैंने उठा ली अपनी कलम और लिख डाला एक सुन्दर सेहरा।
मैंने ऐसे अहम अवसरों के लिये सँभाल कर रखे वस्त्रों को पहन कर-
डाल लिया कंधे पर शाल।
उँगलियों से उलझा लिये अपने बाल और पहुँच गया-
समारोह स्थल पर।
वहाँ स्त्री पुरुषों के साथ देखकर कुत्तों की भीड़-
ठनक गया मेरा माथा।
एक सज्जन से, मुझे ज्ञात हुआ-
यह समारोह आयोजित किया गया है श्रीमान वर्मा जी के पालतू-
कुत्ते कुतिया के विवाहोपलक्ष में।
हिंदी के कोई लब्ध प्रतिष्ठित कवि करने वाले हैं वाचन सेहरे का।
सुनकर ठोक लिया मैंने अपना सिर।
हे प्रभु मुझे अब इन नाशुकरों को दिखाना होगा-
अपना काव्य कौशल, पढना होगा सेहरा इन कुत्तों के लिये।
मैं चुपचाप निकल आया समारोह स्थल से,
फाड़ कर फेंक दिया सेहरा-
और वापस आकर पड़ गया चारपाई पर अन्यमनस्क होकर।
जयन्ती प्रसाद शर्मा
दिल हो गया बाग बाग।
अपने को आभिजात्य वर्ग से जुड़ने पर-
हो रही थी अपार प्रसन्नता।
सच ‘सोनी वेड्स मोनी’ शब्दों का आकर्षण-
कहाँ है परिणय या पाणिग्रहण जैसे हिंदी के पारम्परिक शब्दों में।
नीचे लिखे फुट नोट ने "कृपया समारोह में अवश्य आइये"-
और पढने के लिये नवीनतम सेहरा साथ लाइये-
ने कर दिया मन अति प्रफुल्लित।
मैं हो रहा था खुश मुझे मिलेगा अवसर-
प्रतिष्ठित वर्ग के लोगों में प्रदर्शित करने का अपना काव्य कौशल।
मैंने उठा ली अपनी कलम और लिख डाला एक सुन्दर सेहरा।
मैंने ऐसे अहम अवसरों के लिये सँभाल कर रखे वस्त्रों को पहन कर-
डाल लिया कंधे पर शाल।
उँगलियों से उलझा लिये अपने बाल और पहुँच गया-
समारोह स्थल पर।
वहाँ स्त्री पुरुषों के साथ देखकर कुत्तों की भीड़-
ठनक गया मेरा माथा।
एक सज्जन से, मुझे ज्ञात हुआ-
यह समारोह आयोजित किया गया है श्रीमान वर्मा जी के पालतू-
कुत्ते कुतिया के विवाहोपलक्ष में।
हिंदी के कोई लब्ध प्रतिष्ठित कवि करने वाले हैं वाचन सेहरे का।
सुनकर ठोक लिया मैंने अपना सिर।
हे प्रभु मुझे अब इन नाशुकरों को दिखाना होगा-
अपना काव्य कौशल, पढना होगा सेहरा इन कुत्तों के लिये।
मैं चुपचाप निकल आया समारोह स्थल से,
फाड़ कर फेंक दिया सेहरा-
और वापस आकर पड़ गया चारपाई पर अन्यमनस्क होकर।
जयन्ती प्रसाद शर्मा