दम्भी पुत्र जिसको पिता ने घर से निकाल दिया था, ने छल-बल से घर में पुनः प्रवेश किया और गर्वोक्ति से पिता से कहा, पापा मैं आ गया हूँ, आप हार गये। पिता ने शान्त स्वर में कहा “ठीक है तुम रहो, मैं जा रहा हूँ"।
अगले ही पल स्वाभिमानी पिता का निस्पंद शरीर कुर्सी पर लुढ़क गया।
जयन्ती प्रसाद शर्मा
अगले ही पल स्वाभिमानी पिता का निस्पंद शरीर कुर्सी पर लुढ़क गया।
जयन्ती प्रसाद शर्मा
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