Sunday, 7 April 2019

यह तेरी गली यह मेरी गली

यह तेरी गली यह मेरी गली,
सौ बार आएंगे जाएंगे।
लाख करेंगे कोशिशें,
पर कभी न कभी टकराएंगे।
टकराहट में होगी खनक ,
पायल की जैसे झनक।
हम नहीं करेंगे गौर,
सुनी अनसुनी कर जाएंगे।
कभी खा जायेंगे  तैश,
लाठी डंडों से होएंगे लैस। 
हम रोक लेंगे रक्त पात,
जब लोग हमें समझायेंगे।
नहीं होएंगे हम कम ज़र्फ़,
जमने नहीं देंगे रिश्तों पर बर्फ।
होली दिवाली ईद बकरीद,
मिल कर सभी मनाएंगे।
जयन्ती प्रसाद शर्मा

2 comments:

सुशील कुमार जोशी said...

सुन्दर

Kamini Sinha said...

बहुत खूब ... सादर नमन आप को