बंधु मेरे नवरातों में,
जागा करिये रातों में।
माँ की भक्ति में रम जाओ,
जाया करिये जगरातों में।
माँ की महिमा अपरम्पार,
करती भक्तों का बेड़ा पार।
बिन माँगे सब कुछ पाओगे,
जाकर देखो उसके द्वार।
माँ का भव्य सजा दरबार,
करिये दर्शन, करिये जयकार।
माता तुमको बुला रही है,
राह तुम्हारी रही निहार।
भक्तो माँ से लगन लगाओ,
भक्ति में उसकी तुम रम जाओ।
जय माता दी कहते कहते,
मंदिर की सीढ़ी चढ़ते जाओ।
जयन्ती प्रसाद शर्मा
जागा करिये रातों में।
माँ की भक्ति में रम जाओ,
जाया करिये जगरातों में।
माँ की महिमा अपरम्पार,
करती भक्तों का बेड़ा पार।
बिन माँगे सब कुछ पाओगे,
जाकर देखो उसके द्वार।
माँ का भव्य सजा दरबार,
करिये दर्शन, करिये जयकार।
माता तुमको बुला रही है,
राह तुम्हारी रही निहार।
भक्तो माँ से लगन लगाओ,
भक्ति में उसकी तुम रम जाओ।
जय माता दी कहते कहते,
मंदिर की सीढ़ी चढ़ते जाओ।
जयन्ती प्रसाद शर्मा
2 comments:
जी नमस्ते,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (07-10-2019) को " सनकी मंत्री " (चर्चा अंक- 3481) पर भी होगी।
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रवीन्द्र सिंह यादव
बहुत सुंदर स्तुति सरस पावन।
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