Saturday 8 February 2020

रितु राज बसंत

प्रकृति ने ओढ़ धानी चुनर लीनी,
रितु पति के आव भगत की तैयारी कीनी।
द्रुम दलों ने नव पल्लव धारे,
खेतों में सरसों के पीले फूल खिले न्यारे।
स्वस्ति गान की जिम्मेदारी, कोयल ने लीनी....।
सुरभित शीतल बयार बहेगी,
श्रम हर जन का दूर करेगी।
भर देगी उल्हास मनों में फूलों की सुगंध भीनी....।
कलकल नाद करेगा सरिता का पानी,
हवा संग लहरायेगी प्रकृति की चूनर धानी।
देख कर आयेगी मुस्कान लवों पर जो जाड़े ने छीनी ..।
मचा शोर दिग् दिगंत,
आगये रितु राज बसंत।
ठंडी आह भरे विरहणी खबर नहि साजन ने लीनी।
जयन्ती प्रसाद शर्मा

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