मन के वातायन-दरवाजे खुले हुये हैं आ जाओ,
पलक पाँवड़े बिछे हुये है आ जाओ।
मैंने अंसुवन की लड़ियों से –
वन्दनवार सजाया है,
अपनी साँसों की खुशबु से-
मन उपवन महकाया है।
उम्मीदों के चिराग से-
रोशन है पथ आ जाओ।............मन के वातायन .... ।
रटते रटते नाम तुम्हारा –
अटक गई मेरी साँसे,
देखते देखते राह तुम्हारी–
थक गई हैं मेरी आंखें।
हो गई इन्तेहा इन्तजार की –
आ जाओ। .................मन के वातायन............. ।
मौसम की हवायें आकर-
मुझको तड़पाती है।
धू धू कर जल उठता है दिल,
विरह के शोले भड़काती हैं ।
पड़े फफोले विरहानल के–
आकर सहला जाओ ...........मन के वातायन...... ।
झाँक कर वातायन से-
चिढाता है मयंक।
मैं हूँ साथ चाँदनी के-
नहीं तुम साजन के संग।
तुम्हें कसम है प्यार की–
अब आ जाओ...........मन के वातायन...... ।
जयन्ती प्रसाद शर्मा
पलक पाँवड़े बिछे हुये है आ जाओ।
मैंने अंसुवन की लड़ियों से –
वन्दनवार सजाया है,
अपनी साँसों की खुशबु से-
मन उपवन महकाया है।
उम्मीदों के चिराग से-
रोशन है पथ आ जाओ।............मन के वातायन .... ।
रटते रटते नाम तुम्हारा –
अटक गई मेरी साँसे,
देखते देखते राह तुम्हारी–
थक गई हैं मेरी आंखें।
हो गई इन्तेहा इन्तजार की –
आ जाओ। .................मन के वातायन............. ।
मौसम की हवायें आकर-
मुझको तड़पाती है।
धू धू कर जल उठता है दिल,
विरह के शोले भड़काती हैं ।
पड़े फफोले विरहानल के–
आकर सहला जाओ ...........मन के वातायन...... ।
झाँक कर वातायन से-
चिढाता है मयंक।
मैं हूँ साथ चाँदनी के-
नहीं तुम साजन के संग।
तुम्हें कसम है प्यार की–
अब आ जाओ...........मन के वातायन...... ।
जयन्ती प्रसाद शर्मा