Sunday, 6 March 2016

गाय महिमा

है गाय हमारी अस्मिता,
उसका धर्म-कर्म से नाता है।
नहीं गाय को पशु मानो,
वह हम सबकी माता है।
              माँ नहीं जिसको दूध पिला सकती है,
              वह गाय के दूध से पलता है।
              होने से पौष्टिक और सुपाच्य,
              बच्चे को समुचित बल मिलता है।
दिल दिमाग होता है दुरुस्त,
शरीर पुष्ट हो जाता है..........नहीं गाय को......................... ।
             पंच गव्य के प्रतिदिन प्रयोग से,
             जीवन में शुचिता आती है।
             मनुष्य स्थिर प्रज्ञ हो जाता है,
             मन की भटकन रुक जाती है।
वह सोचने लगता है भला-भला,
भद्र पुरुष कहलाता है..........नहीं गाय को........................... ।
             गाय के शरीर में है-
             कोटिश देवों का वास।
             उसकी सेवा से मिल जाता है,
             सब देवों का अनुग्रह अनायास।
अन्त समय जीव की मुक्ति को,
गौदान कराया जाता है..........नहीं गाय को...........................।
             गोवंश के संबर्धन को,
             गौ को संरक्षित करना होगा।
             उसकी सुरक्षा को उसको,
             राष्ट्रीय पशु घोषित करना होगा।
गाय की सेवा के कारण ही नन्द लाला,
गोपाला कहलाया जाता है..........नहीं गाय को........................... ।
                              
 जयन्ती प्रसाद शर्मा 



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