Thursday, 14 August 2014

आ गया पन्द्रह अगस्त

आ गया पन्द्रह अगस्त,
हुआ इसी दिन कभी न होने वाला-
ब्रिटिश साम्राज्य का सूर्य अस्त .......आ गया......।
गाँधी जी ने फूका मंत्र,
बहुत बुरी है पराधीनता,बुरा है भारत में परतंत्र।
जगी चेतना जन मानस की,
सब लगे चाहने होना स्वतंत्र।
अंग्रेजो भारत छोड़ो की हुंकार पर–
हो गये अंग्रेजों के हौसले पस्त  .....आ गया....।
जनता की दहाड़ पर अंग्रेजों ने–
जाने की तैयारी कीनी,
पन्द्रह अगस्त उन्नीस सौ सैंतालीस को
भारत को सत्ता दीनी।
शासन सँभालने की तैयारी में–
कर्णधार देश के हो गये व्यस्त ...आ गया.....।
अंग्रेजों का हुआ पराभव ,
हुआ स्वराज्य का भारत में उद्धव।
हुई दिवाली सी घर घर में,
हरजन मना रहा था उत्सव।
लाल किले पर देख तिरंगा-
भारत वासी हो गये मस्त    ......आ गया......।
मदमस्त नहीं तुम हो जाना,
मत सपनों में खो जाना।
दुश्मन की मीठी बातों से–
कर्तव्य विमुख मत हो जाना।
तुम भावी कर्ण धार देश के –
कर देना दुश्मन की हर चाल ध्वस्त......आ गया........।


जयन्ती प्रसाद शर्मा 


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