Monday, 5 November 2018

गांधीगीरी

अपनी नेतागीरी चमकाने को,
दबंग को गांधीगीरी दिखाने को।
वे पहुँच गये लेकर गुलाब के फूल,
पर वह नहीं हुआ अनुकूल।
फेंक दिये उसने नोंचकर फूल-
और चटा दी उनको धूल।
हाथ-पैर तुड़ाकर,
सिर फुटौबल करा कर।
चारपाई पर पड़े पड़े कराह रहे हैं,
गांधीगीरी ईजाद करने वालों को-
गालियाँ सुना रहे हैं। 

जयन्ती प्रसाद शर्मा     

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