कूट कूट कर भुस भर दो,
नापाक निगोड़ों में।
बिना पिटे नहीं आएगी अक्ल,
इन हराम खोरों में।
वर्षों से वे कर रहे छल छइयां,
बहुत हो गईं अब गलबहियां।
न रहो विनोदी अब मोदी,
लतियाओ लगाओ मार इन डंगर ढोरों में।
दिखलादो हिन्दुस्तानी दम खम,
बतलादो नहीं कम हम।
इतना कूटो दर्द रहे दौड़ता उनके पोरों में।
अपनाओ जैसे को तैसा की नीति ,
वह भूल जायेगा करना अनीति।
शहादत का बदला लेने में,
रह न जाये कसर कोरों में।
जयन्ती प्रसाद शर्मा
नापाक निगोड़ों में।
बिना पिटे नहीं आएगी अक्ल,
इन हराम खोरों में।
वर्षों से वे कर रहे छल छइयां,
बहुत हो गईं अब गलबहियां।
न रहो विनोदी अब मोदी,
लतियाओ लगाओ मार इन डंगर ढोरों में।
दिखलादो हिन्दुस्तानी दम खम,
बतलादो नहीं कम हम।
इतना कूटो दर्द रहे दौड़ता उनके पोरों में।
अपनाओ जैसे को तैसा की नीति ,
वह भूल जायेगा करना अनीति।
शहादत का बदला लेने में,
रह न जाये कसर कोरों में।
जयन्ती प्रसाद शर्मा
4 comments:
सत्य वचन । बिल्कुल सहमत हूँ आपसे।
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन 136वां बलिदान दिवस - वासुदेव बलवन्त फड़के और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
बेहतरीन..
सादर..
ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 18/02/2019 की बुलेटिन, " एयरमेल हुआ १०८ साल का - ब्लॉग बुलेटिन “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
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