बदरा कारे जारे,
खबर साजन को दे आ रे।
बीतती जागते रैन,
नहीं उन बिन पड़ता चैन।
बदन जलाती शीतल चाँदनी,
नेह जल बरसा रे..........बदरा कारे.........।
बेदर्दी पिया,
तरसे जिया।
मन है विकल,
न कर आज कल चला आ रे...........बदरा कारे.......।
पंख मैं जो पाती,
उड़ कर चली आती।
मैं का करूँ जतन,
आकर बता जा रे..........बदरा कारे........।
लगन तुमसे लगी,
मैं तुमने ठगी।
मुझको तुम बिन,
कुछ नहीं सुहाता रे........बदरा कारे.........।
जयन्ती प्रसाद शर्मा
खबर साजन को दे आ रे।
बीतती जागते रैन,
नहीं उन बिन पड़ता चैन।
बदन जलाती शीतल चाँदनी,
नेह जल बरसा रे..........बदरा कारे.........।
बेदर्दी पिया,
तरसे जिया।
मन है विकल,
न कर आज कल चला आ रे...........बदरा कारे.......।
पंख मैं जो पाती,
उड़ कर चली आती।
मैं का करूँ जतन,
आकर बता जा रे..........बदरा कारे........।
लगन तुमसे लगी,
मैं तुमने ठगी।
मुझको तुम बिन,
कुछ नहीं सुहाता रे........बदरा कारे.........।
जयन्ती प्रसाद शर्मा
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