मेरे दिल की लगी आग को आंचल से हवा दे दी,
बीमार विस्मिल यार को मरने की दवा दे दी।
तुम्हारे तंग दिली का नहीं था पता,
हम मर मिटे नजरें मिलाने पर।
सलीव पर लटका दिया दिल अपना,
तुम्हारे मुस्कराने पर।
तुम संग कर मुहब्बत हमने,
अपने दिल को सजा दे दी.................. मेरे दिल...............।
मामूल पर थी जिंदगी,
नहीं कोई झमेला था।
था जिंदगी में अमन चैन,
खुशियों का मेला था।
तुम्हारी देख कर सूरत,
मेरे दिल ने दगा दे दी.................. मेरे दिल...............।
हम जुल्म अपने आप पर करते रहे,
तुम्हारी बेरुखी से रोज जीते रहे मरते रहे।
उम्मीदों का जला कर दिया,
रोशन दिल अपना करते रहे।
किया तुम पर भरोसा,
बस यही थी खता मेरी.................. मेरे दिल...............।
हमें तुमसे मुहब्बत है नहीं इन्कार करते हैं,
तुमसे इश्क का इजहार हम सौ बार करते हैं।
हम प्यार करने वाले नहीं,
अंजाम की परवाह करते हैं।
हँसते हुये सह लूँगा यह दुनियाँ,
जो भी सजा देगी.................. मेरे दिल...............।
जयन्ती प्रसाद शर्मा
बीमार विस्मिल यार को मरने की दवा दे दी।
तुम्हारे तंग दिली का नहीं था पता,
हम मर मिटे नजरें मिलाने पर।
सलीव पर लटका दिया दिल अपना,
तुम्हारे मुस्कराने पर।
तुम संग कर मुहब्बत हमने,
अपने दिल को सजा दे दी.................. मेरे दिल...............।
मामूल पर थी जिंदगी,
नहीं कोई झमेला था।
था जिंदगी में अमन चैन,
खुशियों का मेला था।
तुम्हारी देख कर सूरत,
मेरे दिल ने दगा दे दी.................. मेरे दिल...............।
हम जुल्म अपने आप पर करते रहे,
तुम्हारी बेरुखी से रोज जीते रहे मरते रहे।
उम्मीदों का जला कर दिया,
रोशन दिल अपना करते रहे।
किया तुम पर भरोसा,
बस यही थी खता मेरी.................. मेरे दिल...............।
हमें तुमसे मुहब्बत है नहीं इन्कार करते हैं,
तुमसे इश्क का इजहार हम सौ बार करते हैं।
हम प्यार करने वाले नहीं,
अंजाम की परवाह करते हैं।
हँसते हुये सह लूँगा यह दुनियाँ,
जो भी सजा देगी.................. मेरे दिल...............।
जयन्ती प्रसाद शर्मा
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