Friday 17 April 2020

समय की फिक्र

जिसको चलने का जनून है,
वह चलेगा।
न मिले मंज़िले मकसूद,
कोई तो मुकाम मिलेगा।
जो पल्लवित हुई है डाली,
उस पर पुष्प खिलेगा।
जो जमा हुआ है आज,
कल को वह गलेगा।
सुबह का निकला सूर्य,
शाम को ढलेगा।
चाँद सितारे भी हैं चमकने का,
उनको भी वक्त मिलेगा।
जो नहीं करते समय की फ़िक्र,
समय उन्हें छलेगा।

जयन्ती प्रसाद शर्मा

2 comments:

विश्वमोहन said...

वाह!

Jayanti Prasad Sharma said...

बहुत बहुत धन्यवाद।