धम !
लगता है कहीं कुछ गिरा है
मैं उत्सुक हो बाहर झाँका
लोग देखने लगे मुझे हिकारत से
शायद मैं ही गिरा था उनकी नज़रों से।
क्यों?
जानने को बजह
किया सूक्ष्मतम आत्मनिरीक्षण
न मिलने पर कोई संधि
आश्वस्त हुआ।
लगता है-
भ्रम वश या द्वेष वश
किसी ने यों ही धकिया दिया होऊँगा
या कभी खा गया होऊँगा ठोकर-
बेखुदी में और गिर गया होऊँगा।
फिर भी,
मैं बेगुनाही का जश्न
नहीं मनाऊँगा
मैं होना चाहूँगा दंडित
किन्हीं के विचारों में गिर जाने के लिये।
जयन्ती प्रसाद शर्मा, दादू ।
लगता है कहीं कुछ गिरा है
मैं उत्सुक हो बाहर झाँका
लोग देखने लगे मुझे हिकारत से
शायद मैं ही गिरा था उनकी नज़रों से।
क्यों?
जानने को बजह
किया सूक्ष्मतम आत्मनिरीक्षण
न मिलने पर कोई संधि
आश्वस्त हुआ।
लगता है-
भ्रम वश या द्वेष वश
किसी ने यों ही धकिया दिया होऊँगा
या कभी खा गया होऊँगा ठोकर-
बेखुदी में और गिर गया होऊँगा।
फिर भी,
मैं बेगुनाही का जश्न
नहीं मनाऊँगा
मैं होना चाहूँगा दंडित
किन्हीं के विचारों में गिर जाने के लिये।
जयन्ती प्रसाद शर्मा, दादू ।
14 comments:
सुन्दर रचना
नमस्ते,
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 16 जून 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
बहुत बहुत धन्यवाद आपका।
बहुत बहुत धन्यवाद।
जी,धन्यवाद महोदय।
सुन्दर प्रस्तुति
होना चाहूँगा दण्डित ,किसी की नजरों में गिर जाने के ....वाह
बहुत बहुत धन्यवाद महोदया।
बहुत बहुत धन्यवाद।
best romace novels rose is red greatest love story
सुंदर प्रेम कहानी
स्टील की औरत
Good blog!!
mdh masala
Amzing stories your post thank you so much share this post raksha bandhan story in hindi
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