Friday 23 August 2019

नँद नन्दन कित गये

नँद नन्दन कित गये दुराय !
ढूँढत घूमी सिगरी बृज भूमी,
गये मेरे पायँ पिराय।
कान्हां , मैं तुम्हरे प्रेम में बौरि गई,
औंधाई गगरी पनघट दौरि गई।
देखूँ इत उत उचकि उचकि,
कहीं पड़ते नहीं लखाय।
भ्रमित भई सुनि भँवरे की गुंजन,
ढूंढे सघन करील की कुंजन।
रे मनमोहन तेरे दर्शन बिन,
नैन रहे अकुलाय।
जयन्ती प्रसाद शर्मा
चित्र गूगल से साभार


6 comments:

kuldeep thakur said...


जय मां हाटेशवरी.......
आप को बताते हुए हर्ष हो रहा है......
आप की इस रचना का लिंक भी......
25/08/2019 रविवार को......
पांच लिंकों का आनंद ब्लौग पर.....
शामिल किया गया है.....
आप भी इस हलचल में......
सादर आमंत्रित है......

अधिक जानकारी के लिये ब्लौग का लिंक:
http s://www.halchalwith5links.blogspot.com
धन्यवाद

शिवम् मिश्रा said...

ब्लॉग बुलेटिन टीम की ओर से आप सब को कृष्णाजन्माष्टमी के पावन अवसर पर हार्दिक शुभकामनाएं!!


ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 24/08/2019 की बुलेटिन, " कृष्णाजन्माष्टमी के पावन अवसर पर हार्दिक शुभकामनाएं “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

अनीता सैनी said...


जी नमस्ते,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (25-08-2019) को "मेक इन इंडिया " (चर्चा अंक- 3438) पर भी होगी।


चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
….
अनीता सैनी

Onkar said...

बहुत सुन्दर

मन की वीणा said...

अनुपम सृजन है आदरणीय।

विद्या सरन said...

Sundar.
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