मिटें क्लेश,
नि:शेष हों विद्वेष।
जला दीजिये होली में दुर्भावना।
उड़ाओ सद्भावना का गुलाल,
सब हों खुशहाल।
न हो किसी को मलाल,
बनाइये सुखों की प्रस्तावना।
न मरें उमंग,
बरसाइये प्रेम रंग।
होयें सब सतरंग,
बनी रहे सद्भावों की संभावना।
करिये गुरुजनों को प्रणाम,
हम उम्र को राम राम ,सलाम।
चरम पंथ का हो विनाश,
होवे प्रेम पंथ की स्थापना।
जयन्ती प्रसाद शर्मा,"दादू"।
नि:शेष हों विद्वेष।
जला दीजिये होली में दुर्भावना।
उड़ाओ सद्भावना का गुलाल,
सब हों खुशहाल।
न हो किसी को मलाल,
बनाइये सुखों की प्रस्तावना।
न मरें उमंग,
बरसाइये प्रेम रंग।
होयें सब सतरंग,
बनी रहे सद्भावों की संभावना।
करिये गुरुजनों को प्रणाम,
हम उम्र को राम राम ,सलाम।
चरम पंथ का हो विनाश,
होवे प्रेम पंथ की स्थापना।
जयन्ती प्रसाद शर्मा,"दादू"।
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